Sri Harihar Sanskrit College, West Champaran

WELCOME TO SRI HARIHAR SANSKRIT COLLEGE

महर्षि बाल्मीकि की तपोभूमि और महात्मा गाँधी की कर्मभूमि चम्पारण की धरती पर छोटी गंडक(सिकरहना) नदी के किनारे सिद्धपीठ बकुलहरमठ अवस्थित है यह महाविद्यालय चनपटिया स्टेशन से सात किलोमीटर पूरब में है संस्कृत-संस्कृति- रक्षण एवं अभिबर्द्धन हेतु १९३९ ई० में तपोनिष्ठ महंत परमपूज्य स्व० हरिहर गिरि जी महाराज ने संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की यह महाविद्यालय १ बीघा १८ कट्ठा ८ धुर में अवस्थित है महंत जी ने यह जमीन भूमिदान में दिया था

Donor



तपोनिष्ठ महंत परमपूज्य स्व० हरिहर गिरि जी महाराज

Principal's Message



डॉ० मीनू मिश्रा, प्रधानाचार्या

परम् तपोनिष्ठ महंत परमपूज्य स्व० हरिहर गिरि जी महाराज ने संस्कृत विषय के प्रचार-प्रसार हेतु इस महाविद्यालय की स्थापना १९३९ ई० में की | महाविद्यालय की स्थापना हेतु उनके द्वारा २ बीघा से अधिक भूमि प्रदान की गई, अतः इस महाविद्यालय का नाम “ श्री हरिहर संस्कृत महाविद्यालय रखा गया |

Vice Chancellor's Message



प्रो० शशिनाथ झा, कुलपति महोदय

यह महाविद्यालय गुणवतापूर्ण शिक्षण द्वारा शिक्षा के उच्चतम शिखर पर पहुँचने के लिए सतत् प्रयत्नशील है | पठन-पाठन के अतिरिक्त छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु सांस्कृतिक गतिविधि, खेलकूद, पर्यावरण के प्रति जागरूकता, स्वच्छता अभियान आदि से सम्बंधित कार्यकर्मों के द्वारा उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है |


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